लखनऊ संवाददाता
लखनऊ। वायु प्रदूषण कम करने में अग्रणी उत्तर प्रदेश ने कदम आगे बढ़ाते हुए माइक्रो-एयरशेड आधारित दृष्टिकोण के आधार पर कार्रवाई की योजना तैयार करने का निर्णय लिया है। पूर्व में राज्य ने एयरशेड आधारित दृष्टिकोण के आधार पर अपनी स्वच्छ वायु कार्य योजना तैयार की थी।
प्रौद्योगिकियों में नवीन हस्तक्षेप शामिल हैं। जैसे कि उन्नत कुकिंग स्टोव, सूर्य नूतन सोलर इंडक्शन कुकिंग स्टोव और बायोगैस संयंत्र। इनके साथ-साथ व्यवहार परिवर्तन से जुड़े पहल भी किए जाएंगे। तिवारी ने कहा, "इन प्रयासों को एकीकृत करके, हम उत्तर प्रदेश को स्वच्छ हवा और टिकाऊ भविष्य की ओर ले जा सकते हैं।"
यूपी के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव ने आगे कहा कि राज्य 'यूपी स्वच्छ वायु प्रबंधन परियोजना - यूपीकैंप' नामक व्यापक बहु-क्षेत्रीय वायु गुणवत्ता कार्य योजना तैयार करने की योजना बना रहा है, जिसमें कई तरह के अहम हस्तक्षेप शामिल हैं। जैसे कि खाना पकाने के स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल को किफ़ायती बनाने के लिए कार्बन फाइनेंसिंग, हेवी ड्यूटी बीएसआई, II और आंशिक रूप से बीएस III ट्रकों को चरणबद्ध तरीके से हटाना, रणनीतिक ज्ञान और एमएसएमई क्षेत्र के प्रदूषण नियंत्रण हस्तक्षेप आदि के लिए आदर्श बदलाव करना आदि। तिवारी ने बताया, “इससे राज्य एयरशेड के भीतर प्राथमिकता वाले क्षेत्रों से होने वाले वायु प्रदूषण की समस्या में काफी कमी आएगी।”
डॉ. प्रतिमा सिंह, सीनियर रिसर्च साइंटिस्ट, सीस्टेप ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यूपी जैसे राज्य, जहाँ देश के कई नॉन अटेनमेंट सिटी स्थित हैं, दूसरों के लिए अनुकरणीय मिसाल पेश करने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने यूपी के शहरों के व्यापक निगरानी के लिए प्रभावशाली माइक्रो-एयरशेड मॉडल तैनात करने के महत्व पर जोर दिया।
डॉ. सिंह ने आगे कहा, “यह दृष्टिकोण प्रदूषण के वजहों के बारे में गहरी समझ पैदा करेगा और त्वरित सुधारात्मक कार्रवाइयों को सक्षम बनाएगा। इसके अलावा, कम लागत वाले सेंसर जैसे किफ़ायती समाधानों के इस्तेमाल से निगरानी करने का बुनियादी ढांचा बेहतर होगा। नेतृत्व करने के लिए सक्रिय रूप से आगे बढ़कर, यूपी अपने निवासियों को स्वच्छ हवा उपलब्ध कराने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है”
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