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मौलाना फरमान मज़ाहिरी ने तरावीह में मुकम्मल किया कुरआन

  सगीर अमान उल्लाह

 बाराबंकी : कस्बा सआदतगंज की मरकज़ मस्जिद में मौलाना मो• फरमान मज़ाहिरी ने तरावीह में कुरआन-ए-करीम मुकम्मल किया।हमारे लिए बड़ी खुशी का लम्हा है। उनके दोस्तों ने उनसे मुलाकात करके उनकी गुलपोशी करके उन्हें बधाइयां दीं। वह दो-दो पारे तरावीह में सुना रहे थे। ज्ञात रहे उन्होंने छब्बीस साल पहले 1997 में सआदतगंज की इसी मरकज़ मस्जिद में पहली बार तरावीह में पूरा कुरआन सुनाया था। उसके बाद तीन साल अमेठी जिला लखनऊ में एक साल सतरिख में,तीन साल त्रिलोकपुर में,एक साल बन्नी फतेहपुर में, चार साल मसौली में, तीन साल अनूपगंज की हिरा मस्जिद के प्लाट पर त्रिपाल के नीचे, उसके बाद ही हिरा मस्जिद का तामीरी सिलसिला शुरू हुआ एक साल फतेहपुर में,और पिछले साल अपने घर पर तरावीह में मुकम्मल कुरआन सुना चुके हैं।

सात साल सऊदी अरब में भी तरावीह सुनाया। लेकिन वहां कुरआन मुकम्मल नहीं होता था।  कभी आठ पारे तो किसी‌ साल सात पारे होते थे।‌ दर असल सऊदी अरब में कुरआन मुकम्मल करवाने का‌ रिवाज नहीं है। वहां पूरे महीने तरावीह पाबंदी से पढ़ने का रिवाज है। हाफिज जी की एक छोटी बहन दो भतीजी आलिमा हैं खानदान के इकलौते तरावीह सुनाने‌ वाले हाफिज़ हैं।

उनके दोस्तों ने उनसे मुलाकात करके उनकी गुलपोशी करके उन्हें बधाइयां दीं,हम सभी लोग अल्लाह तआला से दुआ करते हैं कि वह अपनी पूरी ज़िंदगी कुरआन सुनाते रहें।और अपनी पूरी ज़िंदगी कुरआन की खिदमत करते रहें।

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