संवाददाता
लखनऊ। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव डा. मुईन अहमद खान ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए बताया कि बोर्ड ने सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों को जीवित रखने के लिए समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं देने के सम्बन्ध में प्रधानमंत्री को पत्र भेजा है जिसमें लिखा है कि समलैंगिक विवाह (समलैंगिकता) को वैध करने के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। इस संबंध में हम यह कहना चाहते हैं कि समान लिंग विवाह का वैध बनाना निश्चित रूप से पारंम्परिक विवाहों के मूल्यों को नष्ट कर देगा निश्चित रूप से इसका समाज पर बड़ा नकारात्मक प्रभाव पडेगा। परिणाम स्वरूप यह नैतिक मूल्य के संदर्भ में समकालीन के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों को भी बुरी तरह प्रभावित करेगा। अगर हम धर्म के आधार पर मामले को देखें तो हिंदू धर्म बौद्ध धर्म और सिख धर्म के अलग-अलग मत हैं लेकिन कुल मिलाकर वह इस तरह के कृत्य की अनुमति नहीं देते। इस्लाम में यह एक घोर पाप है और घोर अपराध है जैसा कि पवित्र कुरान में पैगंबर लूत अ0स0 के समुदाय का उल्लेख करते हुए कई बार स्पष्ट रूप से कहा गया है।
प्रधानमंत्री जी से अनुरोध है कि सुप्रिमकोर्ट के मुकदमे में भी भारत सरकार की तरफ से मजबूत आधार के साथ अपना पक्ष रखना चाहिए। इन तथ्यों के आधार पर मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ऑफ इंडिया दृढ़ता से अनुरोध करता है कि आप इस मामले में हस्तक्षेप करें और इसे कानूनी रूप से प्रतिबंधित करें।
प्रधानमंत्री जी से अनुरोध है कि सुप्रिमकोर्ट के मुकदमे में भी भारत सरकार की तरफ से मजबूत आधार के साथ अपना पक्ष रखना चाहिए। इन तथ्यों के आधार पर मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ऑफ इंडिया दृढ़ता से अनुरोध करता है कि आप इस मामले में हस्तक्षेप करें और इसे कानूनी रूप से प्रतिबंधित करें।
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