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सय्यद अब्दुर्रज़ाक शाह ( रह0) का आठ दिवसीय उर्स का शुभारंभ,मेले में उमड़ी जायरीनों की भीड़

  सगीर अमान उल्लाह

 मसौली,बाराबंकी : गंगा जमुनी एकता के प्रतीक एवं सभी संप्रदायों को एक राह दिखाने वाले महान सूफी संत सैय्यद अब्दुर्रज़ाक शाह ( रह0) बांसा शरीफ की मजार पर ईद उल फ़ित्र के दिन से लगने वाला आठ दिवसीय मेला शबाब पर  है ।

जनपद मुख्यालय से 18 किमी0 दूर कस्बा बांसा शरीफ स्थित सैय्यद अब्दुर्रज्जाक शाह रह0 की मजार शरीफ पर वैसे तो इस्लामी महीने की पहले गुरुवार को नौचन्दी मेला लगता है परन्तु वर्ष में एक बार ईद के दिन से लगने वाला सालाना आठ दिनों तक चलता है जिसमे दूरदराज से देश के कोने कोने से आने वाले हजारो जायरीन बाबा की मजार पर माथा टेक कर दुआये मांगते है।

 हजरत सैय्यद अब्दुर्रज्जाक शाह के पिता सैय्यद अब्दुर्ररहीम शाह रसूलपुर महमूदाबाद सफदरगंज के रहने वाले थे। सैय्यद साहब की पैदाइश 1046 हिजरी में रसूलपुर  में हुई थी और आपकी माता 4 वर्ष की उम्र में अपने मायके  बांसा शरीफ लेकर आ गयी थी। 12 वर्ष की उम्र में आप जब तालीम के लिए रुदौली गये वही से आपके चमत्कारों का सिलसिला शुरू हो गया।

एक बार का वाकया है कि हज़रत सैय्यद साहब अमेठी कस्बे में रूके हुए थे रात का वक्त था बगल में कुँआ था उस कुँए में एक औरत गिर गई आप ने औरत की रोने की आवाज सुनी तो आपने उस कुँए में अपना हाथ डालकर उस औरत को कुएं से बाहर निकाल लिया और तुरन्त वहां से चल दिये। एक दिन सैय्यद साहब कलियानी नदी के पास खुदा का जिक्र करने गये और बरगद के पेड़ के पास अपना कम्बल बिछाकर वजू करने चले गये। वजू करके जब वापस आये तो देखा की एक काला सांप उनके कम्बल पर फन फैलाए बैठा था आपने फरमाया कि अगर तू किसी फसाद के इरादे से आया है तो तू चला जा सांप ने फरमाया कि मैं खुदा का जिक्र सुनने आया हूं उसने जिक्र सुना और चुप-चाप वापस चला गया। एक औरत के ऊपर जिन का साया था उसके घर वाले उसको आपके पास लाए तो आपने अपने खादिम को हुक्म दिया इस औरत को कोड़े मारे और कोड़े मारे गये तो उसका जिन भाग गया। सैय्यद साहब के चमत्कारों को देखकर अनेकों राजा-महाराजाओं ने जागीरे देने की पेशकश की आपने उनसे यह कहकर मना कर दिया था कि फकीरों को पैसे का क्या काम हम तो अल्लाह की राह में है। 

सैय्यद साहब  ने हमेशा एकता की बात की।बाबा रज्जाक शाह, कोटवाधाम के जगजीवन दास साहब,बदोसराय के हजरत मलामत शाह गहरे दोस्त थे। आज भी इनकी दोस्ती का प्रतीक कोटवाधाम में तीन रंगों का धागा है।88 साल की उम्र में 5 शव्वाल 1136 हिजरी में को आप दुनिया से रूखसत हो गये। वही पर आपको दफनाया गया जहाँ बनी आपकी मजार शरीफ कौमी एकता का प्रतीक हैं जहाँ पर सभी धर्मों के लोग श्रद्धा एव अक़ीदत से शीश झुकाते है।

सैय्यद अब्दुर्रज्जाक शाह के दो बेटे थे एक की रुदौली शरीफ व दूसरे की बांसा शरीफ में मजार स्थित है। सैय्यद साहब के छोटे पोते  हजरत गुलाम अली शाह की नस्ल से ही सज्जादानशीन चले आ रहे है।मौजूदा सज्जादानशीन उमर अहमद जिलानी है। मेला कमेटी के अध्यक्ष रिजवान संजय ने शासन एव प्रशासन को मांग पत्र देकर मेला के दौरान सुचारू रूप से विद्युत आपूर्ति की मांग के साथ सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस बल तैनात के आलावा मुफ्त चिकित्सा शिविर लगवाने की मांग की है।

आज होगा सैय्यद साहब का कुल शरीफ

 परम्परागत रूप से बताया कि 5 शव्वाल को बाबा अब्दुर्रज्जाक शाह( रह0) टोपी,तसबी व कसकौल की जियारत जायरीनों को करायी जायेगी तथा बाद में खानकाह में सज्जादांशीन सैय्यद उमर अहमद जिलानी की  सदारत में  सैय्यद साहब का कुल शरीफ होगा बाद में सज्जादानशीन के आवास पर लंगर का आयोजन किया जायेगा। सैय्यद अब्दुर्रज्जाक शाह( रह0) के कुल शरीफ में फिरंगी महल लखनऊ के उलेमा सहित देश के कोने कोने से लोग शिरकत करेंगे।

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