सगीर अमान उल्लाह
बाराबंकी: सूफ़ी संत हज़रत अजीद ख़ाँ (रह.)उर्फ़ बाजिद बाबा के सालाना उर्स के मौके पर नगर पंचायत बेलहरा में रविवार को एक आल इंडिया मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन बाजिद बाबा मेला कमेटी के तत्वाधान में आयोजित किया गया। जिसमें प्रदेश के कई जिलों से आये प्रसिद्ध शायर व शायरा ने अपना-अपना कलाम व गीत सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। पूरा पंडाल तालियों से गूंजता रहा।मुशायरे के विशिष्ट अतिथि पूर्व मंत्री नानक दीन भुर्जी रहे जिनका स्वागत मुशायरा आयोजक शाहिद अली सिद्दीक़ी व मुख्य अतिथि रहे अयाज़ ख़ाँ,नसीर ख़ाँ,मुश्ताक़ ख़ाँ ने फूल माला पहनाकार स्वागत किया।
मुशायरे का आगाज़ शायर वसीम रामपुरी ने नात पाक पढ़कर किया।फिर शायरों ने अपने अपने कलाम से ऐसा समा बांधा कि श्रोता मुशायरे में अंत तक जमे रहे।जमील अख़्तर ज़ैदपुरी ने पढ़ा- 'मंदिर में भजन और हैं मस्जिद में अज़ानें, दुनियां में मेरे देश की पहचान यही है।
हस्सान साहिर फ़तेहपुरी ने पढ़ा- लब-कुशाई की ज़ुरूरत भी है ज़ुल्म-जबर पर,तू भी मुजरिम समझा जायगा अगर ख़ामोश है।
वसीकुर्रह्मान शफ़क़ ने पढ़ा- परिंदे ने एक दिन शिकारी से पूंछा,मैं क़ैद हूँ जबकि ख़ता कुछ भी नहीं है।
रिज़वान जमाली ने पढ़ा,नतीजा जो भी हो अंजाम से हम डर नही सकते,तेरे क़दमों में ज़ालिम सर कभी ख़म कर नही सकते-जो दहशत गर्द होते हम तो दुनिया मे न होते तुम,हमारा ज़र्फ़ है यूं बेवफ़ाई कर नही सकते।
वसीम रामपुरी ने कहा,ये हश्र है यहां पर कोई एक नेकी नही देगा,यहाँ पर बाप से बेटे का रिश्ता टूट जाता है।
नैनीताल से आये युवा कवि मोहन मुन्तज़िर ने युवाओं को समझाते हुए कहा,तरस जाओगे जन्नत को अगर माँ बाप रोएंगे, किसी लड़की की ख़ातिर भूलकर भी जान मत देना।
वसीम मंज़र गोरखपुरी ने पढ़ा, कलतक जो ग़ज़ल क़ैद थी रुख़सार व ज़ुल्फ़ में,अब फिक्र महजबीन से बाहर निकल गई।
शमीम रामपुरी ने देशभक्ति गीत पढ़ा तो पंडाल तालियों से गड़गड़ा उठा,न ख़ालिस्तान लिखा है न जापान लिखा है न तो ईरान लिखा है न पाकिस्तान लिखा है,यक़ी तुमको न गर आये तो दिल को चीर कर देखो,हमारे दिल के हर गोशे में हिंदुस्तान लिखा है।
सहर अंजुम बरबंकीवी ने जब अपनी सुरीली आवाज से जब गीत पढ़ना शुरू किया तो सब मंत्र मुग्ध हो गए,जिंगदी ख़ुशगवार कर लूंगी-तुम से जी भर के प्यार कर लूंगी, मुझसे मिलने का तुम जो वादा करो ,उम्र भर इंतेज़ार कर लूंगी।
मुशायरे की अध्यक्षता वसीकुर्रह्मान शफ़क़ ने की और सफल संचालन जमील अख़्तर ज़ैदपुरी ने किया।
मुशायरा कन्वेनर शाहिद अली सिद्दीक़ी व कमेटी अध्यक्ष मुज़क्किर नेता ने सभी शोरा ए एकराम, अतिथियों और श्रोतागण का आभार व्यक्त किया
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