रिजवान अहमद
बाराबंकी : सदाएं बिस्मिल उर्दू अखबार के संपादक जकी तारिक वह इन्सान है जिसको पहचान बनाने की जरूरत नहीं वह खुद ही शायरी जगत की पहचान है छोटे से कस्बे सादत्तगंज जनपद बाराबंकी मे जन्मे जकी तारिक देश विदेश में भी अपने कलाम से से लोग तक रूबरू होते रहते हैं आप को दिखाते हैं उनकी लिखी हुई ग़ज़ल जो नव वर्ष के मुताबिक नये अंदाज में बयान करती
हो तुम को मुबारक ऐ मेरे यार नया साल
सुख,नाम,तरक़्क़ी,ख़ुशी ओर प्यार नया साल,ये नेअमतें सारी दे तुझे यार नया साल
हस्ती ये तुम्हारी करे गुलज़ार नया साल,हो तुम को मुबारक ऐ मेरे यार नया साल
आया है ख़ुशा मरहबा सद मरहबा अब के
उन से कराता प्यार का इक़रार नया साल
सदके में तुम्हारे ऐ मेरी जाने - मोहब्बत
ख़ुशियों की किए देता है भरमार नया साल
मत पूछिए किस लुत्फ़ का माहौ उभरता,उन का भी करा देता जो दीदार नया साल
लाया है मेरी ज़ात की तहरीक की ख़ातिर,ख़्वाबों का सुकूँ यादों का आज़ार नया साल
ऐ यार अजब जिंदादिली पाई है इस में,लगता है मुझे तेरा परस्तार नया साल
देखो तो मेरी ज़ीस्त का वह बन गए हिस्सा,क्या ख़ूब लिए आया है उपहार नया साल
0 टिप्पणियाँ