संवाददाता
लखनऊ : अल्लामा इकबाल की 145 वीं जयंती पर उनके अमूल्य योगदानों को हमेशा याद किया जायेगा इस मौके पर सल्तनत मंज़िल, हामिद रोड, निकट सिटी स्टेशन, लखनऊ की रहने वाली इंजीनियर हया फातिमा बेटी नवाबजादा सय्यद मासूम रज़ा, ऐडवोकेट ने कहा कि तराना ए हिन्द लिखने वाला शायर को पूरे हिन्दुस्तान के लोग हमेशा याद करेगें।
"सारे जहां से अच्छा, हिंदुस्ता हमारा, हम बुलबुले हैं इसकी, ये गुलिस्तां हमारा.." … यह सच है कि हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी की सुबह यह गीत सीधे हर हिन्दुस्तानी के दिल में उतर जाता है और देशभक्ति का जोश हमारी रगों में दौड़ने लगता है । इस गीत को लिखा है दुनियां के माने हुए शायर अल्लामा मोहम्मद इकबाल यानी सर मोहम्मद इकबाल ने। इंजीनियर हया फातिमा ने आगे कहा कि आज सर इकबाल का जन्मदिन है और हमलोग इस मौके पर उन्हें याद करते हैं और खिराज़ ए अकीदत पेश करते हैं ! अल्लामा मोहम्मद इक़बाल पर 21अप्रैल 1958 में डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट पाकिस्तान के ज़रिए ज़ारी करीब 62 साल पुराना नायाब और यादगार डाक टिकट और फर्स्ट डे कवर इंजिनियर हया फातिमा के कलेक्शन में मौजूद है जो इनके कलेक्शन की शोभा बढ़ा रहा है।
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