छोटी से छोटी बीमारियों पर डॉ लखनऊ करते है रिफर
सगीर अमान उल्लाह
बाराबंकी। जिला अस्पताल रफी अहमद की दवाई मेमोरियल स्मारक कहने को तो ट्रामा सेंटर है लेकिन सुविधा के नाम पर जीरो है छोटी- बीमारियों के लिये मरीज को दवाएं बाहर से लिखी जाती हैं अगर सूत्रों की माने तो नाक कान गला रोग विशेषज्ञ विगत कई महीनों से नहीं है मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक सभी मंत्री विधायक दावा करते हैं भारत सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही अधिकारी कर्मचारियों की वजह से जमीनी धरातल पर सच्चाई से कोसों दूर है जहां मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री स्वास्थ्य विभाग पर अच्छा खासा करोड़ों का बजट खर्चा करते हैं वही मरीज को इसकी सुविधा का लाभ नहीं मिल पाता है।
आयुष्मान कार्ड पर 500000 की दवाई फ्री होती है परंतु यहां पर छोटी से छोटी मत की दवाई बाहर लिखी जाती है।
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