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आखिर पत्रकार के कैमरे से पुलिस को डर क्यों?

 
    सगीर अमान उल्लाह

 बाराबंकी। थाना कोतवाली ज़ैदपुर पुलिस को पत्रकार के कैमरे से आपत्ति क्यूं ? वैसे तो माना यही जाता है कि पुलिस जनता की सेवा और शुरक्षा के लिए ही है, मगर कोतवाली ज़ैदपुर में तैनात कुछ पुलिसकर्मी इस बात पर संदेह पैदा कर रहे हैं।

   देश का चौथा स्तम्भ कहा जाने वाला मीडिया आज पुलिस प्रशासन और नेताओ के निशाने पर रहता है। सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े निर्देशों के बावजूद भी पत्रकारों से अभद्रता आम हो गईं है। मुख्यमंत्री के आदेशों को ताक पर रखकर अधिकारी आए दिन पत्रकारों से दुर्व्यवहार करते रहते है। अब उन्हें पहले की तरह स्वतंत्रता से काम करने नही दिया रहा है।

   ताजा मामला कोतवाली ज़ैदपुर का है जहां दैनिक समाचार "द स्वॉर्ड ऑफ इण्डिया" के जिला संवादाता इमामुद्दीन गए हुए थे। पत्रकार इमामुद्दीन,अपने मोबाइल फ़ोन के माध्यम से खबरों की अपडेट दे रहे होते हैं, कि तभी ज़ैदपुर कोतवाली में तैनात पुलिसकर्मी उनसे अपना मोबाईल जेब में रखने को कहते हैं, पत्रकार द्वारा अपना परिचय देने पर पुलिसकर्मी अपना पुलिसया व्यवहार दिखाने लगते हैं।

   मतलब साफ है आपत्ति उन्हें पत्रकार के मोबाइल से नहीं बल्कि कैमरे से है, मगर जब कोतवाली में सब कुछ लीगल हो रहा है तब पत्रकार के कैमरे से डर क्यूं ? मोबाइल बंद कर के जेब में रखने पर क्यूं इतना ज़ोर दिया जा रहा है ? ज़ैदपुर पुलिस का ये रवैया कई ऐसे सवालों को जन्म दे रहा है जो पुलिस की छवि को धूमिल कर रहे हैं। अब क्या पत्रकारों को पुलिस की अनुमति से ही अपना काम करना पड़ेगा ? खुद पुलिसकर्मी ऑन ड्यूटी सिविल में थाना कोतवाली ऑफिस में बैठें और पत्रकारों को काम करने के लिए उनसे अनुमति लेनी पड़े इसे आप क्या कहेंगे।

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