असदुल्लाह सिद्दीकी
सिद्धार्थनगर। जनपद के पुलिस अधीक्षक की अध्यक्षता में जिले के सभी थानों के बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों का पुलिस लाइन सभागार में प्लान इंडिया द्वारा एक क्षमतावर्धन कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का शुभारंभ पुलिस अधीक्षक अमित कुमार आनंद के द्वारा किया गया । इसमें पुलिस अधीक्षक द्वारा बताया गया की सभी अधिकारियो को बच्चो के साथ मित्रवत काम करने की जरुरत है और खासकर यौन शोषण के मामलों में क़ानूनी प्रक्रिया का पालन करे । प्लान इंडिया के लखनऊ के आये प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर शैलेश शुक्ला ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से सभी बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को किशोर (बालकों की देखरेख व संरक्षण ) अधिनियम 2015 व पॉक्सो अधिनियम 2012 के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि थाने पर जब भी किसी नाबालिग बच्चे के गुमशुदगी की सूचना प्राप्त होगी, तो उसे अपहृत माना जाएगा और तत्काल भादवि की धारा 363 के तहत अभियोग पंजीकृत करके उसकी तलाश शुरू कर दी जाएगी। यदि बच्चा स्वेच्छा से भी किन्हीं कारणों से अपने अभिभावक से अलग हो जाता है , तो उसे कानून की नजर में 363 भादवि का अपराध माना जाएगा और तदनुसार जेजे एक्ट में अपेक्षित कार्रवाई की जाएगी । इसके साथ ही पुलिस विभाग के मिसिंग चिल्ड्रेन पोर्टल पर अपडेट करेगे । यदि चार महीने तक यह सभी प्रक्रिया पूरी कर लेने के बाद भी उस बच्चे के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाती है , तो थाने के विवेचक द्वारा आगे की विवेचना एंटी इयूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ( एएचटीयू ) को सौंप दी जाएगी । उन्होंने बताया कि गुमशुदा नाबालिग बालक बालिकाओं की बरामदगी होने पर उससे सादे कपड़ों में पूछताछ की जाएगी । गुमशुदा बच्चों के न मिलने तक उनकी हुलिया सार्वजनिक की जा सकेगी , किन्तु उनके मिल जाते ही पहचान गोपनीय हो जाएगी । इसके बाद उसकी कोई भी फोटो या वीडियो सार्वजनिक रूप से प्रकाशित या प्रसारित नहीं की जाएगी । महिला सम्बन्धी अपराधों में केवल महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही पीड़िता से पूछताछ की जाएगी । पुरुष अधिकारी उससे पूछताछ बिल्कुल नहीं करेंगे। न्यायपीठ बाल कल्याण समिति सदस्य वीरेंद्र मिश्र ने सभी को को पाक्सो एक्ट की धारा 7/8 तथा 9/10 में उदाहरण के साथ अंतर को रेखांकित किया । उन्होंने बताया कि यदि किसी नाबालिग बच्चे के साथ घर परिवार के किसी करीबी सदस्य , रिश्तेदार, शिक्षक, पुलिस कर्मचारी आदि ऐसे व्यक्तियों द्वारा शोषण किया गया, जिनके कंधों पर उस बच्चे के संरक्षण की जिम्मेदारी है तो यह गंभीर अपराध माना जाएगा और ऐसे मामलों में पाक्सो एक्ट की धारा 9/10 लगेगी । सभी बच्चो को 24 घंटे के अंदर बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य है । पीड़िता के साथ मौजूद पुलिस अधिकारी न तो इस सम्बंध में स्वयं मीडिया को कोई जानकारी देगा और न ही पीड़िता की फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी करने की अनुमति किसी को भी देगा । यदि कोई भी व्यक्ति जबरन ऐसा करने की कोशिश करता है तो आन ड्यूटी पुलिस अधिकारी की जिम्मेदारी है कि वह उसे ऐसा करने से दृढ़ता से रोके । मना करने के बावजूद न मानने पर उसके खिलाफ पाक्सो एक्ट की धारा 23 तथा जुबनाइल जस्टिस ( जेजे ) एक्ट की धारा 74 के तहत प्राथमिकी दर्ज हो सकती है । उन्होंने बताया कि बच्चियों को आश्रय देने के लिए जिले में वन स्टॉप सेंटर चालू है। कार्यशाला में पुलिस अधीक्षक अमित कुमार आनंद, अपर पुलिस अधीक्षक सुरेश चंद्र रावत, क्षेत्राधिकारी शोहरतगढ़ रमेश चंद्र पांडेय, न्यायपीठ बाल कल्याण समिति के सदस्य वीरेंद्र मिश्र, एएचटीयू प्रभारी ब्रजेश सिंह, प्लान इंडिया के प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर शैलेश शुक्ला, जिला समन्वयक प्रसून शुक्ला, हरिकेश दुबे, विजयशंकर यादव, एएचटीयू से गंगेश सिंह, देवेंद्र यादव, पंकज भारती व सभी थानों के बाल कल्याण पुलिस अधिकारी उपस्थित रहे।
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