सगीर अमान उल्लाह
बाराबंकी। नौ अगस्त 1942 की घटना से पूरे देश ने एक स्वर में पूर्ण स्वराज्य का आह्नान किया था सही मायने में इसी तिथि को भारत की स्वतंत्रता की निर्णायक तिथि मानकर उत्सव मनाया जाना चाहिए। क्योंकि 9 अगस्त का यह दिन जन दिवस है। इस जन दिवस यानि 9 अगस्त को सुबह 9 बजे गांधी भवन में भारत छोड़ो आन्दोलन की 80वीं वर्षगांठ पर लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई विषयक व्याख्यानमाला आयोजित की जाएगी व्यख्यानमाला के उपरान्त सेवानिवृत आई.ए.एस अधिकारी वीरेन्द्र कुमार सिंह, वरिष्ठ पत्रकार धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव,जयप्रकाश नारायण ट्रस्ट के अध्यक्ष अनिल त्रिपाठी, पूर्व हाकी खिलाड़ी सलाउद्दीन किदवई, खुदाई खिदमतगार संगठन के सदस्य हफ़ीज किदवई,सामाजिक कार्यकर्ता पवन यादव,सेवा सोसाइटी के अध्यक्ष मो उमेर किदवई,वरिष्ठ अधिवक्ता सरदार राजा सिंह सरीखे कई साथियों के साथ गांधी भवन से पटेल तिराहा तक पदयात्रा निकाली जाएगी। जिसका थीम भारत जोड़ो-नफ़रत छोड़ो होगा। यह बात गांधी भवन में गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट द्वारा आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक राजनाथ शर्मा ने कही। उन्होंने बताया कि सुबह 9 बजे गांधी भवन में झण्डारोहण होगा तदोपरान्त गांधी भजन के साथ ही महात्मा गांधी की प्रतिमा पर मार्ल्यापण किया जाएगा वहीं सायंकाल रेठ नदी में स्वाधीनता संग्राम के शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। श्री शर्मा ने बताया कि 1942 की क्रांति के साथ ही एक अंदरूनी विघटन का वातावरण बनना शुरु हुआ जिसके कारण न सिर्फ औपचारिक स्वतंत्रता में देर लगी बल्कि देश दो टुकड़ों में बँट गया। इस विभाजन की चोट के कारण शायद हम उस आजादी के बिगुल की आवाज को भूल से गए जो 1942 में बजा था। डॉ. रामनोहर लोहिया का कहना था कि 15 अगस्त राज का दिवस है और 9 अगस्त जन दिवस है। कोई एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब 9 अगस्त के सामने 15 अगस्त फीका पड़ेगा और हिन्दुस्तानी अमेरिका और फ्रांस के 4 व 14 जुलाई, जो जन दिवस है, की तरह 9 अगस्त को मनाएंगे।श्री शर्मा ने कहा कि 1947 में आज़ादी की नींव का पत्थर नौ अगस्त 1942 को रखा गया। यह दिन उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने का है, जो आधुनिक भारत के शिल्पकार बनें। जिस अहिंसक आन्दोलन की शुरूआत महात्मा गांधी ने की उसे बाद में उन्होंने ‘करो या मरो’ में परिवर्तित कर दिया। जिसके बाद महात्मा गांधी के साथ पूरा देश खड़ा हो गया। 15 अगस्त महज़ राज का दिवस है जिस तिथि कोे भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड माउंटबेटेन से कांग्रेस नेतृत्व ने हाथ मिलाकर स्वाधीनता स्वीकार की इस मौके पर जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बृजेश दीक्षित, नसीम खान, पाटेश्वरी प्रसाद, मृत्युंजय शर्मा, विनय कुमार सिंह, हुमायूं नईम खान, शिवशंकर शुक्ला, जमील उर्रहमान, मो. अनस, मो. रहमान, अजीज अहमद आदि लोग मौजूद रहे।
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