ब्यूरो रिपोर्ट
बाराबंकी। एक तरफ सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करते है तो वही दूसरी तरफ भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी उनके आदेशों को ठेंगा दिखा रहे हैं। मामला बाराबंकी के ग्राम पंचयतों में होने वाले विकास कार्यो का है जहाँ पर शासन के सख्त निर्देश के बाद भी गांवों में होने वाले विकास कार्यों में धन की जमकर बंदरबांट की जा रही है। इसी का नतीजा है कि ग्राम पंचायतों में लगाई गई स्ट्रीट लाइटों में जमकर घपला किया गया है। जो लाइटें लगी हैं उनका टेंडर कागजों में करने के साथ ही मनमाने तरीके से खरीद की गई है।
हालांकि तीन ब्लॉकों में ये मामले पकड़ में आये हैं। लेकिन जिले की आधे से ज्यादा ग्राम पंचायतों में यह लाइटें लगी हैं। इसकी यदि सही तरीके से जांच हुई तो लाखों का गबन सामने आ सकता है। फिलहाल गांवों में लाइट लगाने के काम पर रोक लगाते हुए सीडीओ ने इसकी जांच के आदेश दिए हैं।
सोलर लाइट 1200 की भुगतान 3800 का
बाराबंकी जिले में 1161 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें से आधे से अधिक गांवों में सोलर लाइटें लगाई गई हैं। रामनगर, सूरतगंज व सिरौलीगौसपुर ब्लॉक के गांवों में लाइट लगाने के मामले में धन की जमकर बंदरबांट करने का मामला सामने आया है। रामनगर ब्लॉक की 15 ग्राम पंचायतों में जो लाइटें लगीं उनकी कीमत 1200 रुपये की है लेकिन इन स्ट्रीट लाइट का भुगतान 3800 रुपया किया गया।
यहां 15 ग्राम पंचायतों में करीब 800 एलईडी स्ट्रीट लाइटें खरीदी गई हैं। इसी तरह सिरौलीगौसपुर ब्लॉक के भी 17 गांवों में लाइटें लगाने में गड़बड़ी की बात सामने आई है। सूरतगंज ब्लॉक में भी करीब 20 गांवों में लाइटें लगाई गई। ग्रामीणों द्वारा बताया जाता है कि इनमें ज्यादातर लाइटें ऐसी लगाई गई जिनकी न तो कंपनी का नाम पता है और न ही ब्रांड। इसके अलावा इन लाइटों का टेंडर भी कागजों पर करने के साथ इनके मनमाने तरीके से भुगतान करवा दिए गए।
2014 में हरख ब्लॉक में सामने आया था घोटाला
वर्ष 2014 में हरख ब्लॉक की मौथरी, पंडरा, डेहवा सहित तमाम गांवों में भी स्ट्रीट लाइटें लगाने के नाम पर जमकर गड़बड़ी हुई थी। लाइट लगाने के लिए चौदहवें वित्त आयोग मद से प्रकाश व्यवस्था के नाम से 3950 रुपये का स्टीमेट बनवाकर गांवों में जो लाइटें लगाई गई उसकी कीमत मात्र 1200 रुपये के करीब थी।
एडीओ पंचायत, वीडीओ व प्रधान की मिलीभगत से खेल गांवों में स्ट्रीट लाइट लगाने का काम पंचायती राज विभाग के स्तर से होता है। लेकिन यह कार्य ब्लॉक लेवल के अफसर करवाते हैं। ऐसे में ब्लॉक में तैनात एडीओ पंचायत, गांव के वीडीओ व प्रधान तीनों लोग मिलकर यह घपला करते हैं।
सबसे अहम रोल एडीओ पंचायत का रहता है जो मनमाने तरीके से स्टीमेट बनवाकर पैसे का भुगतान करवा देते हैं। इसका हिस्सा ऊपर के अफसरों तक भी पहुंचता है। इसी का नतीजा है कि लगातार घपलेबाजी के मामले सामने आने के बाद भी किसी जिम्मेदार पर अब तक कार्रवाई नहीं हो सकी है।
क्या कहते है जिम्मेदार ?
गांवों में स्ट्रीट लाइट लगाने को लेकर शिकायतें मिली हैं। इसके बाद इस काम पर रोक लगा दी गई है। जिन ग्राम पंचायतों में लाइटें लगी हैं उनकी जांच के आदेश दिए गए हैं। जांच रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
-एकता सिंह, सीडीओ
न्यूज़ सोर्स अमर उजाला
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