सगीर अमान उल्लाह
बाराबंकी। रमज़ान मुबारक मौके पर गुलाम अस्करी हाल मे सना अब्बास ट्रस्ट द्वारा आयोजित कामयाब ज़िन्दगी दीनी क्लासेज कामयाबी के साथ हुआ सम्पन्न । आली जनाब मौलाना सैयद फ़ैज़ अब्बास मशहदी ने अपने बेहतरीन अन्दाज़ में दी जानकारी कामयाब ज़िन्दगी तभी हो सकती है जब इंसान को इस बात का ज्ञान हो कि दीन में हमारी क्या ज़िम्मेदारी है इसी विषयक आधार पर विशेष क्लासेज का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य दीनी वा मज़हबी सिद्धान्तों और इस्लाम के प्रारम्भिक कार्यो वा नियमों पर धर्म गुरूओं से विचार विमर्श के लिए जोर दिया गया छात्र छात्राओं को दीन की ज्यादा से ज़्यादा जानकारी उपलब्ध कराने की कोशिश रही ताकि समाज से बुराइयां समाप्त हो जब दीन का गलत अर्थ निकाल कर समाज में परोसा जाता है तो बुराइयां जन्म लेती है मौलाना ने एक दिन पूर्व हजरत अली अलैहिस्सलाम की शहादत पर रौशनी डालते हुए कहा उन्होंने अपने कातिल को दूध पेश कर हमे सीख दी है।इंसानियत हमेशा जिन्दा रहने चाहिए। मौलाना ने आगे कहा हज़रत अलीअलैहिस्सलाम एक कामिल इंसान थे आप तमाम इंसानी फजाएल वा खुसूसामत के हामिल थे , इल्म वा हिक्मत , रहम वा कर्म , फिदाकारी वा इंकेसारी, तवाज़ों वा फुरूतानी, अदब वा मेहरबानी, हिल्म वा बुर्द बारी , गुर्बापरवारी, अदल वा इंसाफ , जूद वा सखा , इसार वा कुरबानी और शुजाअत वा क़नाअत वगैरा जैसे तमाम पसंदीदा सिफात वा कमालात आपकी जात में जमा थे।हज़रत अली अलैहिस्सलाम को मैदान जंग में एक माहिर शमशीर ज़न, शहर और उसके उमूर की देख भाल में निहायत हसास और घरेलू जिंदगी में इंतहाई शफीक वा मेहरबान और मुनाजजम फर्द की हैसियत से देखा लेकिन हक़ीक़त ये है कि हज़रत अली अलैहिस्सलाम जिंदगी के तमाम शोबों में इंसान कामिल का आलातरीन नमूना थे।
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