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तो क्या इंसाफ़ की आस में यूँ ही टूट जाएंगी सारिका की उम्मीदें, कब होगा मुकेश के साथ न्याय

वर्षों बीतने के बाद भी नही मिले दवा व्यवसाई मुकेश के हत्यारे

सीबीआई से लेकर एसआईटी की चौखट तक पीड़ित परिवार ने लगाई न्याय की गुहार

सत्य स्वरूप संवाददाता

लखनऊ। उत्तरी जोन के जानकीपुरम थाना क्षेत्र में लगभग साढ़े चार वर्ष पूर्व हुए दवा व्यवसाई मुकेश मिश्रा हत्याकांड ने फिलहाल पीड़ित परिवार को न्याय की कोई आस नही दिख रही है। मुकेश की हत्या के बाद से ही उनके परिजन तमाम आला अफसरों से लेकर हाई कोर्ट के दरवाजे तक पर दस्तक दे चुके है लेकिन दूर दूर तक इंसाफ की आस तो अलग बात है बल्कि एक छूती हुई इंसाफ की अलख में कहीं रौशनी तक नही दिख रही है। मुकेश मिश्रा हत्याकांड में मृतज की पत्नी सारिका व मृतक के परिजनो ने सीबीआई से लेकर एसआईटी तक दस्तक दी, और तो और हाई कोर्ट की चौखट पर भी न्याय की गुहार लगाई लेकिन नतीजा शिफड़ रहा और आज वर्षों बीतने के बावजूद दवा व्यवसाई मुकेश के सनसनीखेज हत्याकांड से पुलिस पर्दा नही उठा सकी है और मुकेश हत्याकांड की फ़ाइल विभिन्न अधिकारियों के दस्तावेजों में धूल खा रही है। विदित हो कि जानकीपुरम निवासी दवा व्यवसायी मुकेश मिश्रा हत्या कांड के मामले में क्राइम ब्रांच की ओर से फाइनल रिपोर्ट लगाकर केस बंद करने के बाद मुकेश के भाई ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर सीबीआई जांच कराए जाने की मांग की थी। मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन एसएसपी कलानिधि नैथानी ने केस की दोबारा जांच कराने का निर्णय लिया था। तत्कालीन एसएसपी ने क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर  और जानकीपुरम थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर के नेतृत्व में एसआईटी टीम गठित की गई थी। टीम में स्वाट टीम को भी शामिल किया गया था।

दुकान बंद कर घर जाने के दौरान मारी गई थी गोली

 जानकीपुरम सेक्टर-6 निवासी दवा व्यवसायी मुकेश मिश्रा  60 फुटा रोड स्थित अपनी दुकान को बंद कर कार से घर लौट रहे थे। घर के पास ही वीरांगना चौराहे के पास बाइक सवार बदमाशों ने घेरकर गोली मार दी थी। गंभीर रूप से घायल मुकेश को पुलिस की मदद से ट्रॉमा सेंटर में भर्ती करवाया गया था जहाँ 6 वें दिन उनकी मौत हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने मुकेश के बड़े भाई करुणेश मिश्रा की तहरीर पर अज्ञात बदमाशों के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर जांच को आगे बढ़ाया था। काफी प्रयास के बावजूद जानकीपुरम पुलिस कातिलों का सुराग लगाने में असफल रही थी जिसके बाद घटना की जांच दो मई 2018 को क्राइम ब्रांच को सौंपी गई। लेकिन क्राइम ब्रांच भी बदमाशों को पकड़ने में नाकाम रही। सारे पहलुओं पर जांच करने के बाद क्राइम ब्रांच  केस में गुपचुप तरीके से फाइनल रिपोर्ट लगाकर केस को बंद कर दिया। 

चार थानेदारों ने की थी जाँच, नार्को जाँच भी नही आई थी काम

घटना के समय जानकीपुरम थाने की कमान इंस्पेक्टर अरुण कुमार मिश्रा के हाथ मे थी। उनके काफी प्रयास के बावजूद हत्यारोपितों का सुराग नहीं लग सका था। मृतक के परिवारिजनों की शिकायत पर अरुण को हटाकर इंस्पेक्टर अमरनाथ वर्मा ने थाने का चार्ज लेकर जांच आगे बढ़ाई। लेकिन उन्हें भी सफलता नहीं मिल सकी। जिसके बाद इंस्पेक्टर आनंद शुक्ला और इंस्पेक्टर पीके झा ने भी तफ्तीश की। फिर भी खुलासा नहीं हो सका। घटना का खुलासा न होने पर परिवारिजनों ने जांच किसी और एजेंसी से कराए जाने की मांग की थी। जिसके बाद तत्कालीन एसएसपी दीपक कुमार ने दो मई 2018 को जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दिया था। इस मामले में मुकेश के बड़े भाई करुणेश ने मुकेश की पत्नी सारिका पर हत्या की साजिश रचने की आशंका जताई थी। वहीं सारिका ने करुणेश पर आरोप लगाया था। जिसके बाद पुलिस ने न्यायालय के निर्देश पर 11 और 12 फरवरी 2018 को सारिका और करुणेश समेत करुणेश की पत्नी मधु बेटा प्रशांत और रिश्तेदार सुधांशु का विधि विज्ञान प्रयोगशाला में नार्को टेस्ट करवाया। इसके बावजूद पुलिस हत्या की गुत्थी सुलझाने में असफल रही थी। 

क्या मैं नही हूँ देश की बेटी:- सारिका

मृतक मुकेश की पत्नी सारिका ने हमारे प्रतिनिधि से बात करते हुए बताया कि हत्याकांड को चार वर्ष से ज्यादा बीत चुके हैं। हत्याकांड के बाद से ही उन्होंने तमाम आला अफसरों से लेकर न्यायालय के दरवाजें तक दस्तक दी लेकिन आज तक उन्हें इंसाफ़ नही मिला। तत्कालीन अफसरों के चक्कर काटने से लेकर न्यायालय तक मे जब उम्मीद की आस नही दिखी तो उन्होंने सीबीआई जाँच तक कराने के लिए कार्रवाई प्रचलित करी, लेकिन नतीजा शिफड़ रहा। सारिका कहती है कि पुलिस जब इस हत्याकांड के खुलासे में पूरी तरह से विफल हो रही थी तब गुपचुप तरीके से मर्डर केस की फ़ाइल तक बन्द कर दी गई। हालाँकि अथक प्रयास से इस मर्डर केस की फ़ाइल दोबारा खोली गई लेकिन इंसाफ की आस में अभी तक पीड़ित परिवार को महज आश्वासन ही मील रहे हैं।

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