सत्य स्वरूप संवाददाता
कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कीट विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर एवं कीट वैज्ञानिक डॉ राम सिंह उमराव ने किसानों के लिए चने की फसल को फली छेदक कीट से बचाएं एडवाइजरी जारी की है।उन्होंने बताया कि सर्दियों में तापमान कम रहने से फसलों में कीट लगने की जगह संभावना रहती है। यदि समय पर फली छेदक कीट का नियंत्रण नहीं किया गया तो पूरी फसल चौपट हो जाती है।उन्होंने बताया कि रबी फसलों में गेहूं के बाद चना की सबसे महत्वपूर्ण फसल माना गया है।इसके बाजार भाव भी अच्छे मिलते हैं।उन्होंने बताया की फली छेदक कीट हरे रंग का होता है जो बाद में भूरे रंग का हो जाता है। शुरुआत में यह कीट चने की पत्तियां खाता है इसके बाद फली लगने पर उन में छेद कर दाने को खोखला कर देती है। इसके नियंत्रण के लिए उन्होंने बताया कि जनवरी फरवरी के महीने में खेत में 5 से 6 फेरोमेन ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से लगा दें। साथ ही जैविक नियंत्रण के लिए 50% फसल में फूल आने पर नीम का तेल 700 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। डॉक्टर उमराव ने रासायनिक नियंत्रण के लिए बताया कि एण्डोक्साकार्ब 1 मिलीलीटर दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर दें।जिससे कि चने की फसल को फली छेदक कीट से बचाया जा सके।
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